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CORONA... (घर वापसी)


CORONA... (घर वापसी)

'इस शहर में मज़दूर जैसा कोई दर बदर नहीं,
जिसने सबके घर बनाये उसका कोई घर नहीं...'
                                                               हजारो लाखो लोगो का वापस अपने मुलुक (गाँवों) की तरफ पैदल, साइकिल पर, चोरी छुपे, भूखे - प्यासे कई दिनों तक भीड़ की शकल में जाना. आने वाले दिनों में कोई बड़ी महामारी की वजह बने. पर इन लोगो की भी मज़बूरी है वो बता रहे है नहीं गए तो भूख से मर जायेगे और फिर कम से कम घर वालो के सामने तो मरेंगे. सरकार अपनी तरफ से पूरी कोशिस कर रही है पर साधन तो है जितने है और लोग अनगिनत. शायद यही वजह रही होगी की ट्रैन को पूरी तरह बंद नहीं किया गया होगा. पर यह वक़्त सरकार पर सवाल उठाने का नहीं है की उसने राहुल गाँधी के तीन महीने से ट्विटर पर ट्वीट कर चेताया जा रहा था या फिर विदेश से आने वाली फ्लाइट पर क्यों रोक नहीं लगाए या क्यों विदेश से आने वालो की स्क्रीनिंग नहीं की गई. वक़्त है साथ में खड़े हो कर इस महामारी से मुकाबला  करने का.

इसकी भी पहल हम अपने राज्य राजस्थान से देख सकते है जिस तरह LOCKDOWN की पहल को उस तरह गेहलोत सरकार की काम को लेकर प्रतिपक्ष के नेता कटारिया दुवारा सपोर्ट करना. ठीक इसी तरह सेंट्रल goverment के राहत पैकेज का राहुल गाँधी और सोनिया गाँधी दुवारा तारीफ करना.
                                                        दूसरी तरफ कुछ लोग में लिखना नहीं चाहता पर क्या करू अभी भी अपनी गन्दी सोच से बाज़ नहीं रहे और मेरे लिखे कोरोना  के Blog को पढ़ कर पता नहीं कहा कहा से धुँआ निकल रहा है इन्ही लोगो के लिए मेने 'कुत्ते की दुम' कहा था. कोई किसी भी तरह का काम कर रहा है तो कोई भी किसी तरह का एहसान नहीं कर रहा हमारे पुरे मुल्क में बहुत लोग बहुत अच्छा काम कर रहे है इसमें भी हमारे शहर जोधपुर की बात अलग ही है यो ही इसे 'अपणायत का शहर' नहीं का जाता. हमारे शहर करीब 31 से  ज्यादा होटल वालो ने अपने Rooms को फ्री ऑफ़ कॉस्ट देने का कहा है.

                                    मेरे सर (Dr. Haridasji Vyas ) ने पिछले दिनों अपने फेस बुक में एक पोस्ट पर लिखा था हमें यह प्रूव करना है की हमारा विरोध सिर्फ वैचारिक धरातल पर है पर कुछ लोग है की यह उसने किया वो उसने वो, इससे ऊपर नहीं रहे है और सही गलत बाते सोशल मीडिया पर चढ़ा रहे है. सही बात कहु तो अभी भी हम बहुत लाइट ले रहे है या जागरूकता की अभी भी कमी है या फिर कब्रिस्तान या शमशान जाने की जल्दी. कही सब्जी मंडी में भीड़ या दूध के लिए तो कही राशन की दूकान में तो कही पूजा के लिए जमा होना. या फिर हमारे शहर में एक बिल्डिंग के हॉल में जमा जुम्मा की नमाज़ की तैयारी करने से पुलिस का पहुंच जाना (वैसे मुरे मुल्क में मेरे इनफार्मेशन के हिसाब कही भी नमाज़ मस्जिद में नहीं हुई है) अब कुछ लोग इसमें भी उकसा रहे है की मज़बूरी और डर गए. जो भोक रहे है उन्हें भोकने दो. हमें सबसे पहले अपना, परिवार का फिर मोहल्ला, शहर, राज्य और देश के बारे में सोचना है. इसमें बुरा बनना पड़ेगा, लोग अभी मन में दुश्मनी पालेगे, वो सकता है झगड़ा भी करेंगे पर क़ुरबानी तो देनी पड़ेगी
                                                                                        जय हिन्द...
Abdul Hadi Chouhan
M.A. Semester II, 2020
Journalism & Masss Comunication
JNV University, Jodhpur.
@abdulhadichouha
roznamajumum@gmail.com


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