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जिंदाबाद जिंदाबाद

 जिंदाबाद जिंदाबाद 

हालात जब भी अपने सुर ताल बदलते है...

नाती नवाब के भी ननिहाल बदलते है...!!

नेताओ का बदलना पार्टी , नया नहीं है साँपो में रवायत, वो खाल बदलते है.....!!

                                                                                                              'अस्तित्व अंकुर' 

आज के नेताओ को देख कर कुछ भी लिख दो, बोल दो, सुना दो कुछ फर्क नहीं पड़ता पता है क्यों कि करीब करीब सभी लोगो में यह सोच बना राखी  है कि पॉलिटिक्स में सब जायज है. इस सब के जिम्मेदार हम लोग ही  हे क्यों कि सिर्फ कहने के लिए बात कही जाती  है कि चुनाव में जातिवाद नहीं होगा, धर्म, भाई भतीजावाद नहीं होगा पर हम सब क्या करते है अपने चहेतों को टिकट दिलाने या मिलने पर किसको चुनते है या सपोर्ट करते है  फिर उम्मीद गरीबी हटाने कि या विकास की करते है यह दो नारे का जिक्र करुगा जो हमारे देश में काफी लोकप्रिय हुई एक  तो इंद्रा गाँधी जी (Iron LAdy) के वक़्त में "गरीबी हटाओ" और दूसरा आज के दौर में विकास और विकास (सबका साथ सबका विकास).लोग बातो में आ गए और  लोगो ने समझा गरीबी  दूर हो जाएगी और आज तक दूर हो हे रही है और विकास (इसका आकलन आने वाला वक़्त करेगा). और सबको पता है, इसमें जयादा लिखने कि जरुरत नहीं है, हमसे बेहतर और कौन जान सकता है आज के हालत. 

तरस तो उन जमीन से जुड़े पार्टी वर्कर पर आता है  जो अपने जिंदगी भर ग्राउंड लेवल पर काम करता है और अपने नेता की हर सही गलत बात का सपोर्ट करता है बचपन के दोस्त और रिश्तेदारों से बहस की वजह से रिश्तों में दरार ले आता है और यह हमारे नेता क्या करते है खुद भी जिन्दगी भर जिनका विरोध करते आये या एक सोच जिसके साथ जिन्दगी भर चलते आये उससे दूर होने में जरा भी नहीं हिचकते और "घर वापसी" (आज कल का Sentence). उस वक़्त बेचारा पार्टी वर्कर ना रो पता है ना हँसी तो छोड़ो कई कई दिन तक बात करने लायक नहीं रहता और Depression में चला जाता है उससे पार्टी को क्या फर्क पड़ता है उन्हें पता है यह एक आवाज़ पर फिर से दौडेंगे बंधुवा  मजदूर जो है. 

अभी पिछले दिनों यह हम खूब देख रहे है और आगे भी देखते रहेगे क्यों कि इन नेता लोगो को सिर्फ  और सिर्फ अपने वर्चस्व कि लड़ाई लड़नी है और इनका क़द कैसे कम हो जाये मजाल है. वेसे जिन पार्टियों का आम तौर जिक्र होता है वो कांग्रेस और बीजेपी  है. मेरे हिसाब से तो "कांग्रेस में बीजेपी है और बीजेपी में ही कांग्रेस है" मिली जुली सरकार. अपने अपने फायदे से आते जाते रहते है. और आज TMC का जिक्र नहीं करे तो बात अधूरी  रह जाएगी  TMC का हाल ही में सरकार बनाने के बाद मुकुल रॉय का TMC में घर वापसी और उधर UP में जतिन प्रसाद ने 'हाथ' छोड़ 'कमल' थामा यह एक बड़ा फेर बदल है यही नहीं UP में तो योगी और मोदी में बड़ा कौन कि लड़ाई भी देखी जा रही है जो आने वाले दिनों में बड़ा उलट फेर देखने को मिलेगा. पर यह पार्टी का अंदरूनी मामला है वेसे "आएगा तो मोदी ही" सब पर भारी है फिलहाल तो आगे वक़्त काम आएगा. 

खेर हम सब तो जिंदाबाद जिंदाबाद के नारे लगते रहेगे जब तक, तब तक सवाल करना और सही नेता को बिना भेदभाव के चुनना आएगा. हमारे यहाँ सवाल सिर्फ College और University में इलेक्शन के वक़्त में स्टूडेंट जरुर करते है पर वहा पर  भी जयादातर Students पूर्वाग्रह (Biased) लिए होते है सिर्फ क्लास लगाने के लिए सवाल करते है. या Opposition में होने का धर्म निभाते है. जब तक हम अपनी हालत नहीं सुधारेगे तब तक यह सब चलता रहेगा और फिर नेता तो नेता है यह कहे तो गलत नहीं होगा - 

मन मेला तन उजला, बगुला कपटी अंग ..!!

तासों तो कोआ भला, तन मन एक ही रंग.....!!





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