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आपदा में अवसर...!


"चमक सूरज की नहीं मेरे किरदार की है, खबर ये आसमाँ के अखबार की है,
मैं चलूँ तो मेरे संग कारवाँ चले, बात गुरूर की नहीं, ऐतबार की है।"


हमारे PM ने पिछले महीने ICC के कार्यक्रम में कहा आपदा को अवसर में बदलना है होना भी चाहिए कब तक हम रोते रहेगें. आत्म - निर्भर तो बनना होगा । कब तक हम विदेशो की और देखते रहेंगे यही मौका है और कम  था तो चीन की नापाक हरकत ने अब हमें सोचने पर मजबूर कर दिया है आज भी हमारा चीन के साथ Export 25% और Import 75% है क़रीब, यानी हम कितने  आत्म निर्भर यह भी हमें मालूम है जंग किसी भी समस्या का समाधान नही है यह भी हम सब जानते है. पर साथ ही साथ हमें यह भी देखना होगा कि ban किन किन प्रोडक्ट्स पर और कैसा होगा ?  Chinese इन्वेस्टमेंट का क्या होगा ? 

वेसे हमारी सरकार ने पिछले दिनों इस ओर शुरुआत कर चीन के 59 App हमारे मुल्क में ban दिए जिसकी वजह से चीन में बेचैनी बढ़ गई और हमे धीरे धीरे आगे चीनी कॉन्ट्रैक्ट, इम्पोर्ट सब पर ग्राउंड लेवल पर काम करने की जरूरत है। और हमरा फायदा और नुकसान भी देखना होगा सिर्फ भावनाओ में ना बहे दिमाग से काम ले, "सीढिया उन्हे मुबारक हो, जिन्हे छत तक जाना है, मेरी मन्जिल तो आसमान है, रास्ता मुझे खुद बनाना है।"

 जो सबसे जरूरी है वो यह है कि लोगो को अंदर से आवाज़ आनी चाहिए कि हमे अवसर का लाभ नही उठाना है बॉयकॉट करना है और दिमाग के साथ सिर्फ सोशल मीडिया पर देश भक्ति नही दिखनी है  , इससे हल नहीं निकलेगा. एक  बात और देखना होगा जो स्टॉक हमारे मुल्क में है जिसका पेमेंट हमारे यहाँ के दुकानदार या इम्पर्टर कर चुके है उसका नुक्सान केसे कर सकते है ? कुछ साल पहले दिवाली के वक़्त में इस तरह कि बेवकूफी हम कर चुके है जिसमे नुक्सान किसका हुआ ? मोबाइल जो हम यूज़ कर रहे है, जैसे TV या कोई भी china का प्रोडक्ट. तोड़ दे या जला दे ? नहीं. और ऐसा कर भी नहीं रहे है और करे भी क्यों ?  रही बात जो स्टॉक है उसके आफ्टर सेल्स सर्विस में दिक्कत तो आ सकती है इससे इंकार नहीं किया जा सकता. फिर china के मोबाइल की कालाबाज़ारी जो हम देख रहे है शुरू ही गयी और Medicine की कीमत  Increase दी  गयी, जबकि अभी स्टॉक मौजूद है. इस तरह हम सब देख रहे है,  यह क्या हो  रहा है मोदी जी ने मोके का फायदा उठाने को  नही कहा है और क्या करे हम लोग कोई मौका नही छोड़ना चाहते क्या पता फिर मौका मिले न मिले क्या इस तरह हम विश्व गुरू बनेंगे। Lockdown में हम सभी ने कालाबाज़ारी, जमाखोरी देखी है वैसे काफी लोगो ने क़बीले तारीफ काम भी किया है। और आज भी कर रहे है पर कितने लोग ?   "फ़ायदा उठाना हो तो हर मौके का लेकिन तब नहीं जब कोई तकलीफ में हों "

 कोलकत्ता के डॉक्टर फवाद हलीम जो dialysis सिर्फ 50/- में कर रहे है आज के वक़्त मैं  50/- की क्या value है हम सब जानते है। salute है Dr Fawaad Haleem को। वरना हमारे यहाँ Hospitals में क्या क्या हो रहा है हम सब जानते और देखते है आज के दौर में कुछ भी पर्दे में नही है.यह दूसरी बात है हम यह किस चश्मे से देखते है?

मुझे आज भी याद है जब इराक़ और अमेरिका युद्ध के वक़्त मुम्बई में पेप्सी और कोकाकोला का मुस्लिम बहुल इलाकों में टोटल बॉयकॉट किया गया और तो और कुछ रेस्टोरेंट और दुकान वालो ने Cold ड्रिंक्स सड़क पर लाकर तोड़ दी और तो और लोगो ने भी साथ दिया इन कोल्ड ड्रिंक्स को दूर से सलाम किया पर फिर वही "ढाक के तीन पात" हमे ऐसा नही करना है एक ठोस नीति के साथ काम करना है. सरकार को चाहिए कि हालात के नार्मल होने पर भी चीन से दूरी बना कर रखे और कुछ धना सेठो को Import की Permission ना दे वरना फिर हम तो वही है अवसर की तलाश में रहते है मुनाफाखोरी, जनता जाए भाड़ में।

"उम्मीद पर दुनिया कायम है" और हमे अभी Positive सोच के साथ रहना है वरना अभी तो इम्युनिटी पवार कम होते ही दुर्घटना घटी वाला मामला है।

Abdul Hadi Chouhan
M.A.Journalism & Mass Communication,
Semester II, 2020 
JNV University, Jodhpur.
@abdulhadichouha
roznamajumum@gmail.com

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