CORONA…
चूहे बिल्ली का खेल चल रहा है, पुलिस और लोगो के बीच में. पुरे मुल्क में यही हाल है कही कम तो कही ज्यादा. सबके सब एक हे थाली के है. चोराहो पर तो हालत फिर सही है मोहल्लो और गलियों में पिकनिक चल रही है, क्रिकेट चल खेली जा रही है, गांव में ताश खेला जा रहा है. कोई बोलने वाला नहीं. कौन स्टैंड ले हमें क्या वाली सोच है हमारी तो बुरा कौन बने "बिल्ली के गले में घंटी कौन बंधे" हम कब सुधरगे शायद मरकर भी नहीं क्युकी मर कर तो मुर्दा और कड़क हो जाता है. अरे उन गरीबो और कामगारों से पूछो क्या हालत है उनके जबकि आज सिर्फ पांचवा दिन है. कोरोना से जब होगा तब होगा उससे पहले बार बार मर रहे है. इससे फैक्ट्री मालिक और धना सेठो क्या कर रहे है, एडवांस सैलरी देना तो दूर काम से निकल रहे है, फिर उनका अपने गांव की तरफ जाना वो भी पैदल पैदल. कहा है हमारी इंसानियत या फिर सिर्फ इलेक्शन के वक़्त यह लोग पोलिटिकल पार्टी को चंदा दे कर (बोटी देकर बकरा वसूल करते है ). हम लोग सिर्फ बाते ही बाते करते है और कम है तो सोशल मीडिया पर देशप्रेम तो देखते ही बनता है. यह वक़्त आया है एक नजीर पेश करने का.
किस बड़े फिल्म स्टार ( खान ब्रदर्सऔर दूसरे भी), गीतकार, फिल्म प्रोडूससर, डायरेक्टर , क्रिकटर , बिज़नेस हाउसेस ने ग्राउंड लेवल पर काम शुरू किया या एलान ही किया हो ? मुंबई और दिल्ली, अहमदाबाद जैसे बड़े शहरों में जहा सिंगल फॅमिली रहती है या सिर्फ काम के लिए वह जाते है उनके तो हाल बड़े बुरे है. हा इससे भी इंकार नहीं किया जा सकता है पुरे मुल्क में NGO , समाज सेवी संस्थाओ, मोहल्ले में खाना बना कर बटा जा रहा है. जिसके उन्हें दीन दुनिया में बदला मिलेगा. इंशाल्लाह ( हम सभी धार्मिक है चाहे किसी भी मत के मैंने वाले हो).
यही वक़्त है इमरजेंसी या राष्ट्पति शासन लागु करने का क्योकि इस वक़्त में भी कालाबाज़ारी / मुनाफाखोरी अपने चरम पर है. "भय बिना प्रीत नहीं" जो शुरू तो हुई मास्क और सैनिटाइज़र से और अब खाने पीने रोज़मर्रा की जरुरत पर. फौज को रोड पर आना पड़ेगा. हमने पांच बजे मार्च २२ को थाली बजा कर डॉक्टर्स, पुलिस, सफाई कर्मचारी, दूधवाला, अखबार वाला और पतकार इत्यादि के प्रति उत्साह बढ़ाने के लिया किया और असली में हमारे कुछ लोग डॉक्टर को घर में आने से रोक रहे है. क्या हमारा हाल "हाथी के दांत खाने के और दिखाने के और" जैसा नहीं है कही सोसाइटी के गार्ड को वह के लोगो दुवारा चाय पानी का भी न पूछना और वो कहा से कितनी दूर से ड्यूटी के लिए आ रहे है उन्हें कोई मतलब नहीं है. इस माहोल में वो दो चार दिन वह पर कैसे रह रहे है तो क्या , वो नहीं आएंगे तो कोई दूसरा रख लेंगे. यही है असली देश प्रेम दिखाने का.वासे एक बात तो है कई दिनों से देख रहा हु सोशल मीडिया पर हिन्दू मुस्लिम काफी कम हो गया है पर कुछ लोग अब भी नहीं मान रहे है यह लोग दिमागी बीमार है या कुत्ते की दुम.
खुदा न खस्ता अगर हालत और बद से बदतर होते है तो सरकार को सभी बिज़नेस हाउस को जबरदस्ती टेक ओवर कर लेना चाहिए जैसा की हमारी सरकार ने देश के एकीकरण के वक़्त किया था. सभी स्टार होटल, खाली पड़ी बिल्डिंग्स को हॉस्पिटल
में बदलने की तैयारी अभी से कर लेनी चाहिए.
आखिर में एतियात के साथ आध्यात्म की तरफ घर में रह कर झुक जाये क्योकि दुआ ही तकदीर का लिखा मिटा सक्ती है. हम जायदातर लोग धार्मिक है चाहे वो किसी भी मत को मानाने वाले हो.
जय हिन्द
अब्दुल हादी चौहान
एम.. ए. पत्र्कारिता एव जनसंचार
सेमेस्टर – I I , 2020.
JNV University, Jodhpur.
@abdulhadichouha
roznamajumum@gmail.com
roznamajumum@gmail.com
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें