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मार्च, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

CORONA... (घर वापसी)

CORONA... ( घर वापसी ) ' इस शहर में मज़दूर जैसा कोई दर बदर नहीं , जिसने सबके घर बनाये उसका कोई घर नहीं ...'                                                                हजारो लाखो लोगो का वापस अपने मुलुक  ( गाँवों ) की तरफ पैदल , साइकिल पर , चोरी छुपे , भूखे - प्यासे कई दिनों तक भीड़ की शकल में जाना . आने वाले दिनों में कोई बड़ी महामारी की वजह न बने . पर इन लोगो की भी मज़बूरी है वो बता रहे है नहीं गए तो भूख से मर जायेगे और फिर कम से कम घर वालो के सामने तो मरेंगे . सरकार अपनी तरफ से पूरी कोशिस कर रही है पर साधन तो है जितने है और लोग अनगिनत . शायद यही वजह रही होगी की ट्रैन को पूरी तरह बंद नहीं किया गया होगा . पर यह वक़्त सरकार पर सवाल उठाने का नहीं है की उसने राहुल गाँधी के तीन महीने से ट्विटर पर ट्वीट कर चेताया जा रहा था या फिर विदेश से आने वाली फ्लाइट पर क्यों रोक नहीं लगाए या क्यों विदेश से आने वालो की स्क्रीनिंग नहीं की

CORONA...

                      CORONA… चूहे बिल्ली का खेल चल रहा है, पुलिस और लोगो के बीच में . पुरे मुल्क में यही हाल है कही कम तो कही ज्यादा . सबके सब एक हे थाली के है. चोराहो पर तो हालत फिर सही है मोहल्लो और गलियों में पिकनिक चल रही है, क्रिकेट चल खेली जा रही है, गांव में   ताश खेला जा रहा है . कोई बोलने वाला नहीं . कौन स्टैंड ले हमें क्या वाली सोच है हमारी तो बुरा कौन बने " बिल्ली के गले में घंटी कौन बंधे " हम कब सुधरगे शायद मरकर भी नहीं क्युकी मर कर तो मुर्दा और कड़क हो जाता है . अरे उन गरीबो और कामगारों से पूछो क्या हालत है उनके जबकि आज सिर्फ पांचवा दिन है. कोरोना से जब होगा तब होगा उससे पहले बार बार मर रहे है. इससे फैक्ट्री मालिक और धना सेठो क्या कर रहे है, एडवांस सैलरी देना तो दूर काम से निकल रहे है, फिर उनका अपने गांव की तरफ जाना वो भी पैदल पैदल . कहा है हमारी इंसानियत या फिर सिर्फ इलेक्शन के वक़्त यह लोग पोल