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जिंदाबाद जिंदाबाद

  जिंदाबाद जिंदाबाद  हालात जब भी अपने सुर ताल बदलते है... नाती नवाब के भी ननिहाल बदलते है...!! नेताओ का बदलना पार्टी , नया नहीं है साँपो में रवायत, वो खाल बदलते है.....!!                                                                                                               'अस्तित्व अंकुर'  आज के नेताओ को देख कर कुछ भी लिख दो, बोल दो, सुना दो कुछ फर्क नहीं पड़ता पता है क्यों कि करीब करीब सभी लोगो में यह सोच बना राखी  है कि पॉलिटिक्स में सब जायज है. इस सब के जिम्मेदार हम लोग ही  हे क्यों कि सिर्फ कहने के लिए बात कही जाती  है कि चुनाव में जातिवाद नहीं होगा, धर्म, भाई भतीजावाद नहीं होगा पर हम सब क्या करते है अपने चहेतों को टिकट दिलाने या मिलने पर किसको चुनते है या सपोर्ट करते है  फिर उम्मीद गरीबी हटाने कि या विकास की करते है यह दो नारे का जिक्र करुगा जो हमारे देश में काफी लोकप्रिय हुई एक  तो इंद्रा गाँधी जी (Iron LAdy) के वक़्त में "गरीबी हटाओ" और दूसरा आज के दौर में विकास और विकास (सबका साथ सबका विकास).लोग बातो में आ गए और  लोगो ने समझा गरीबी  दूर हो जाएगी और आज तक

"पत्रकार या सरकारी प्रवक्ता"

                                                        "पत्रकार या सरकारी प्रवक्ता" मैंने कही पढा था कि गणेश शंकर विधार्थी जोकि एक पत्रकार और स्वतंत्रता सेनानी थे कि जनता की भलाई के लिए  पत्रकार को हमेशा सरकार के विपक्ष में होना चाहिए.   जब  पत्रकार विपक्ष के रोल  में होता है तो वह  सरकार के हर गलत और जनता विरोधी काम में सवाल खड़े करता है जिससे सरकार को जनता हित में फैसला करना पड़ता है. आज हमारे देश में जो  पत्रकार  है असल में वो  पत्रकार नहीं बल्कि अघोषित रूप से सरकार और सत्ताधारी दल के प्रवकत्ता है. आज हमारे देश के  पत्रकार सरकार से नहीं विपक्ष से सवाल करते है. वो हर उस व्यक्ति को देशदोर्ही और टुकड़े टुकड़े गेंग का सद्स्य घोषित कर देते है. जो सरकार से सवाल पूछता है.  इन्ही सब वजहों से निष्पक्ष पत्रकारिता में दुनिया के 180 देशों में हमारे देश की मीडिया का 142 वा  स्थान है.  मेरा  ऐ सा मानना है कि देश में तानाशाही को रोकने के लिए सरकार का विरोध करने से पहले देशवासियो को मीडिया के खिलाफ आन्दोलन करने की जरुरत है. जब तक देश का मीडिया सत्ता की दलाली नहीं छोड़ेगा तब तक देश में जनता के